लेखनी कहानी -09-Mar-2022 प्रतिलिपि हवेली में होली का हुरंगा
सब लोग फिर से सजने के लिए चले गये । वैसे भी सजना संवरना सब महिलाओं का प्रिय शगल है । हर उम्र की महिला हमेशा ही बन संवर कर घर से बाहर निकलती हैं । और तो और बिंदी , चूड़ी, कंगन सब मैचिंग के । बस एक ही मैचिंग में नहीं होता है और वह है उसका पति । मर्द लोग कितने केयरलेस , कैजुअल होते हैं न । कोई बरमूड़े में ही आ जाता है तो कोई लुंगी में । कोई बनियान में तो कोई सलमान की तरह बॉडी दिखाता हुआ आ जाता है । उन्हें ज्यादा परवाह नहीं होती है । लापरवाह, बेपरवाह होते हैं मर्द । लेकिन औरतें ! सलीकेदार ।
इधर सजावट करने वाली टीम ने एक मीटिंग बुलाई । टीम लीडर अपनेश जी जांगडा ने फटाफट सभी महिला सदस्यों को अपनी योजना कविता के माध्यम से समझाई । यह कविता उन्होंने ही लिखी है जो उन्होंने मुझे मैसेज बॉक्स में भेजी है ।
होली पर हम प्रतिलिपि हवेली की
दीवारें कुछ इस तरह से पोतेंगे
किसी के भी दिल का कोई कोना सूना नहीं छोड़ेंगे
फुलाकर हर कलर के हजारों गुब्बारे
सजायेंगे उन्हें हर खिड़की और द्वारे द्वारे
हर गुब्बारे में भरेंगे रंग बिरंगा पानी
जब किसी को मारेंगे तो याद आएगी उसे नानी
फूल पत्तियों से हवेली को सजाएंगे
रंग बिरंगी लाइटों से हवेली जगमगाएंगे
हवेली के हॉल में एक बड़ा सा डी जे लगवाएंगे
और होली के गीतों पे सबको नचाएंगे
सारे लेखक गण चंग और ढप बजायेंगे
और लेखिकाएं लूर, घूमर, भांगड़ा पे ठुमका लगाएंगे
आंगन में बनाएंगे एक बड़ी सी रंगोली
प्रेम से बोलो , सबको वैरी वैरी हैप्पी होली
इस शानदार रचना पर सब सदस्यों शिल्पा मोदी जी, प्रिया कम्बोज जी, नीलम गुप्ता जी, शिखा मिश्रा जी, बबीता सोनी जी और रितु गोयल जी ने खूब तालियां बजाईं । सबको यह आइडिया बहुत पसंद आया ।
प्रिया जी और रितु जी बड़ी नटखट हैं । जब तक कुछ अलग हटकर नहीं कर लें तब तक इन्हें मजा नहीं आता है । प्रिया जी ने तो हद ही कर दी थी । अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए और मर्दों को बताने के लिए कि औरत कितनी सहनशील होती हैं , शादी से पहले एक शर्त रख दी । शर्त यह थी कि दूल्हा वे बनेंगी और दुल्हन लड़का बनेगा । सब लोग उन्हें देखने आते और इस शर्त को सुनकर दुम दबाकर भाग जाते । मिस्टर कंबोज ने हां कर दी । प्रिया जी की दिली तमन्ना पूरी हो रही थी । वे दूल्हा बनकर घोड़ी पर बैठीं और मिस्टर कंबोज दुल्हन बने । स्टेज पर दोनों पति पत्नी की तरह बैठे । लोग सोच रहे थे कि अभी तक दूल्हे के मूंछें क्यों नहीं आईं ? मगर पूछने की हिम्मत किसी में नहीं हुई । लोग मन ही मन कह रहे थे "दूल्हा नाबालिग लग रहा है । कहीं पुलिस न पकड़ ले " ? लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और मिस्टर कंबोज की डोली प्रिया जी ले गईं ।
रितु गोयल जी भी कम नहीं हैं । उनके बॉस बड़े तीसमारखाँ हैं । जब जिसको जो चाहे , बक दें । अपने आगे सबको मूर्ख मानते थे वे । सारा स्टाफ परेशान था उनसे । रितु जी तब नई नई आईं थीं ऑफिस में । एक दिन बॉस ने बिना बात ही रितु मैम को सबके सामने बहुत तेज डांट दिया । रितु जी ने बहुत बेइज्जती महसूस की । तब कुछ नहीं कहा , बस भागकर अपने केबिन चली गई ।
थोड़े दिनों बाद एक दिन वह बॉस के चैंबर में थी । उसने कहा " आज मेरा हैप्णी बर्थ डे है सर । मैं आपके लिए रसगुल्ले लाई हूँ खिलाने के लिये । ये लीजिये" । और उन्होंने रसगुल्ले का डिब्बा बॉस के आगे कर दिया । जैसे ही बॉस ने हाथ डिब्बे में डाला , वहां रसगुल्ले तो थे नहीं , मधुमक्खियां थीं । सारी मधुमक्खियां डिब्बे से निकल कर बॉस पर टूट पड़ीं । रितु जी चुपके से नौ दो ग्यारह हो गई । बॉस का सब कुछ सूज गया । ईगो भी और शरीर भी । पूरे दस दिन अस्पताल में भर्ती रहे थे वे । सारे स्टाफ ने रितु जी का लोहा मान लिया । लीडर बन गई । जो निडर होता है , लीडर वही होता है ।
जब ये कहानियां हम सुना रहे थे तो सब लोग आंखें फाड़ फाड़कर उन दोनों को देख रहे थे जैसे वे कोई शैतान की नानी हों । हमने कहा "डरो नहीं । ये आपको नहीं कटवायेंगी , वादा" । सबने राहत की सांस ली ।
वे दोनों मेरे पास आईं और अपने मुंह मेरे कानों के पास लाईं । धीरे से कुछ प्लान बताये । सीक्रेट थे । हमें बहुत पसंद आये । शिखा जी, बबीता जी को लगा कि कोई शरारती योजना बन रही है । यानि डबल धमाल । 😀😀😀
शिल्पा मोदी जी ने सुझाव दिया कि महिलाओं का फूलों से और पुरुषों का कुंमकुंम तिलक लगाकर स्वागत करेंगे । कन्नौज का इत्र लगायेंगे । हालांकि अभी पिछले दिनों कुछ इत्र व्यापारियों के यहां से इत्र के बजाय नोटों के बंडल निकले थे । शायद नोटों के बीच रहने से इत्र और सुगंधित हो गया । नोटों में ऐसी खुशबू होती है कि वह सबको अपनी ओर खींच लेती है । लोग लालच में उनकी ओर खिंचे चले आते हैं ।
सब लोग तैयारियों में लग गये । हवेली मगन होकर गाने लगी
सजना है मुझे हुड़दंगियों के लिये
सजना है मुझे हुड़दंगियों के लिये
जरा अपनी शकल निखार लूं
फूलों से खुद को संवार लूं कि
सजना है मुझे हुड़दंगियों के लिए
योजना के अनुसार चार दरवाजों पर स्वागत किया जायेगा मेहमानों का । इसलिए सभी मेहमानों की भी चार टोलियां बनाईं गईं । डॉक्टर मिश्रा अंश और नीलम गुप्ता जी ने सलाह दी कि एक टोली सीनियर सिटीजन की, दूसरी यंगस्टर्स की तथा तीसरी बच्चों की होनी चाहिए । बच्चों मतलब 20- 30 साल की महिलाएं । चौथी मर्दों की टोली रहेगी ।
हमने कहा वर्गीकरण तो ठीक है लेकिन नामकरण ठीक नहीं । क्या आपको यहां कोई सीनियर सिटीजन दिख रहा है ? अरे , यहां सबसे बड़ी महिला आई हैं । मगर उनके जोश , उत्साह , शरारतों को देखकर लगता है कि क्या वे सबसे बुजुर्ग हैं ? नहीं ना । तो ऐसा करते हैं इनके नाम इस तरह रखते हैं
पहली टोली - मस्तानी
हेमलता जी
शीला शर्मा जी
पुष्प लता जी
रीता गुप्ता जी
अलका माथुर जी
सरस्वती देवी सखी जी
दूसरी टोली - दीवानी
सुनंदा जी
सुषमा जी
सुषमा सिंह जी
डाक्टर मिश्रा जी
नीलम गुप्ता जी
तीसरी टोली - तूफानी
अनन्या जी
ज्योति जी
शिखा जी
विनीता जी
कोमल जी
शशिकला जी
छमिया भाभी
चौथी टोली - परवाने
हरिशंकर गोयल जी
विनय शास्त्री जी
सूर्य नारायण पेरी जी
कुलदीप तोमर जी
रोहित मिश्रा जी
और श्री
अनन्या जी ने इस लिस्ट पर ऐतराज जताया कि उन्हें श्री से अलग क्यों रखा ? तो शिखा जी बोली "थोड़ी देर जीजू को पल्लू से आजाद कर दो ना दी । वो भी खुलकर अपनी जिंदगी जी लेंगे" ।
"चुप ओय शैतान लड़की । बड़ी आई जीजू की चमची" । और अनन्या जी मुक्का तानकर शिखा जी के पीछे दौड़ीं । शिखा जी जोर जोर से हंसते हुए आई के पीछे छुप गईं ।
आई अनन्या जी से बोली "के गलत कहवै सै छोरी । म्हारा छोरा नै भी चैन की सांस लैने दे थोड़ी देर । कद तक पल्लू से बांधै बांधै फिरैगी" ? इस उलाहने पर सब लोग हंस पड़े ।
अब सब लोग तैयार होकर हवेली पहुंचने लगे ।
शेष अगले अंक में
Punam verma
14-Mar-2022 09:07 AM
Bahut khoob sir
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Hari Shanker Goyal "Hari"
14-Mar-2022 10:13 AM
धन्यवाद जी
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